शुरू करता हूँ अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है।
दोस्तो मैंने बहुत से लोगों को यह कहते सुना है कि कुरान की आयत हिंदी में पढ़ने से सवाब मिलता है या नहीं या कुरान की आयत अरबी में पढ़ने से शवाब मिलता है या नहीं।।
तो कुछ लोग पूछते हैं कि कुरान अरबी में ही क्यों है
वह यह भी कहते हैं कि कुरान को किसने लिखा जबकि मोहम्मद सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम अनपढ़ थे।। जब मोहम्मद साहब को अरबी नहीं आती थी तो कुरान किसने लिखा। । इसके लिए मैं छोटा सा जवाब दूंगा कि कुरान को उनके अनुयायी ने लिखा जो उनके साथ रहते थे।। मोहम्मद साहब के ऊपर सिर्फ आयत श्रुति के माध्यम से उतरती थी जिसे वह हुबहू याद कर लिया करते थे फिर वह उसे लोगों के सामने कह दिया करते थे।।
अब बात आती है की पूरी दुनिया में रहने वाले सभी मुसलमानों को कुरान किस भाषा में पढ़ना चाहिए आइए जानते हैं।।
दोस्तों, कुरान की सूरह नंबर-43 और आयत नंबर- 3 में लिखा है...
" हमने इसको अरबी भाषा का कुरान बनाया है ताकि तुम इसे समझो"
दोस्तों कुरान की यह आयत देखने में तो बहुत छोटी है "
दोस्तों कुरान की यह आयत देखने में तो बहुत छोटी है | लेकिन इसको समझना हर मुस्लिम के लिए जरूरी है| दोस्तों कुरान की इस आयत को अल्लाह ने कुरान की कई सुरा में कई बार दोहराया है जैसे
सुरह :: अद-दूखान , आयत नंबर-58,
" हमने इस कुरान को तुम्हारी भाषा में सरल बना दिया है ताकि तुम मार्गदर्शन प्राप्त करो"
इसी तरह, सूरह मरियम आयत नंबर -97, सुरा अस-शूरा आयत नं-7, सुरह-अस-सज्दह आयत नं-3 आदि।
दोस्तों इन आयतों के माध्यम से अल्लाह हमें बार-बार कह रहे हैं कि हमने कुरान उतारा है तुम्हारी जुबान में ताकि तुम इसे समझो अर्थात इस आयत के माध्यम से अल्लाह तआला हमें बताना चाहता है की वर्तमान समय में तुम्हारी जो भी भाषा है अर्थात जो तुम्हारी मातृभाषा है तुम कुरान को उसी भाषा में समझो ताकि तुम कुरान को अच्छे से समझ सको और वह तुम्हारी जुबान के जरिए तुम्हारे दिल में भी उतरे और तुम्हारे दिमाग में भी छाए |
दोस्तों इस छोटी सी आयत में अल्लाह नहीं हमें बहुत बड़ी नसीहत दे रखी है||
दोस्तों ,आज से 1400 साल पहले हमारे नबी मोहम्मद सल्लल्लाहो अलेही व- वसल्लम इस बात को बखूबी जानते थे कि आज नहीं तो कल मेरे अनुयायी कुरान की आयतों को लेकर पूरी दुनिया में फैल जाएंगे तब हो सकता है कि कुछ लोग इन आयतो में बिगाड़ उत्पन्न करें। हालांकि ऐसा मुमकिन नहीं है क्योंकि कुरान को उसकी असल हालत में महफूज रखने की जिम्मेदारी स्वयं अल्लाह ने ले रखी है।
दोस्तों आपने बहुत से आलिमों के मुंह से सुना होगा कि कुरान को अरबी में पढ़ने से सवाब मिलता है।
अब सवाब मिलता है या नहीं, अल्लाह ही बेहतर जानता है लेकिन मेरा मानना है कि अगर आप कुरान को समझकर पड़ेंगे तो आपको सवाब जरूर मिलेगा और आप उन विरोधियों को जवाब दे पाएंगे जो आपसे अल्लाह की राह में बेवजह ही तर्क वितर्क करते है ||
दोस्तों मैं उन तबलीग करने वाली जमात को भी या बताना चाहता हूं कि आप जिस देश में भी जाएं वहां की जुबान जरूर सीखें अर्थात वहां की भाषा। और कुरान को उनकी भाषा में ट्रांसलेट करके उनको सिखाओ और अरबी भाषा से उसको मिलाओ ताकि कहीं कोई गलती ना रह जाए। जो ज्ञान वाली होंगी वह इस किताब को सच्चाई के साथ समझेंगे और सत्य को पहचानेंगे और मुस्लिम अर्थात आज्ञाकारी हो जाएंगे और अल्लाह के सामने समर्पण को कबूल करेंगे समर्पण एक हिंदी शब्द है जिसका अरबी में ट्रांसलेट इस्लाम होता है।
मेरे मुस्लिम भाइयों मैंने कुरान को अपनी जुबान में पड़ा और मैंने इसे बहुत बारीकी से समझा और इसका नतीजा यह रहा कि मैंने मुझे बहुत कुछ समझ में आया और जो मुझे नहीं समझ में आया वह मैंने अपनी मस्जिद में इमाम से तर्क वितर्क करके समझ लिया और कुरान को अपनी भाषा में समझने की बदौलत ही आज मैं इतना बड़ा ब्लॉग लिख पा रहा हूं आप सबके लिए।।।
मुझे आशा है आप लोग मेरी बातों को समझेंगे। ।
सूरह अल-फ़ातिहा – अरबी में (Surah Al-Fatihah in Arabic):
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيمِ
الْحَمْدُ لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ
الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيمِ
مَالِكِ يَوْمِ الدِّينِ
إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَإِيَّاكَ نَسْتَعِينُ
اهْدِنَا الصِّرَاطَ الْمُسْتَقِيمَ
صِرَاطَ الَّذِينَ أَنْعَمْتَ عَلَيْهِمْ
غَيْرِ الْمَغْضُوبِ عَلَيْهِمْ وَلَا الضَّالِّينَ
सूरह अल-फ़ातिहा – हिंदी अनुवाद (Meaning in Hindi):
शुरू करता हूँ अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है।
सारी तारीफ़ें अल्लाह के लिए हैं, जो सारे संसारों का पालनहार है।
वह बड़ा मेहरबान, निहायत रहमत वाला है।
वह बदले (क़यामत) के दिन का मालिक है।
हम तेरी ही इबादत करते हैं और तुझी से मदद मांगते हैं।
हमें सीधा रास्ता दिखा।
उन लोगों का रास्ता जिन पर तूने इनाम किया,
न कि उन पर जिन पर तेरा ग़ज़ब हुआ और न ही जो गुमराह हुए।