हाल ही में, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भारत के चुनाव आयोग (ECI) पर भारी-भरकम आरोप लगाए हैं, जिनमें 'मत चोरी', 'क्रिमिनल फ्रॉड', और 'वोटर सूची में हेराफेरी' शामिल हैं। इस विवाद ने देश में लोकतंत्र की स्थिरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस ब्लॉग में हम आरोपों का सार, ECI की जवाबी कार्रवाई और राजनीतिक प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण करेंगे।
2. राहुल गांधी का मुख्य आरोप: 'Vote Chori' और 'Criminal Fraud'
राहुल गांधी ने सटीक उदाहरण देते हुए दावा किया कि कर्नाटक की महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में 100,250 फर्जी वोट डाले गए, जो चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी का स्पष्ट प्रमाण हैं
उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग ने CCTV फुटेज नष्ट कर दिया, जिससे संभावित साक्ष्य को मिटा दिया गया।
3. वोटर लिस्ट में बहुगुणित नाम — एक विवादित दावा
राहुल गांधी ने दो व्यक्तियों—Aditya Srivastava और Vishal Singh—के नामों को कई राज्यों की मतदाता सूची में होने का दावा किया। लेकिन यूपी के CEO ने स्पष्टीकरण दिया कि ये व्यक्ति केवल कर्नाटक के महादेवपुरा में ही सूचीबद्ध हैं
4. “Atom Bomb” सबूत व SIR प्रक्रिया का समर्थन
राहुल गांधी ने कहा कि उनके पास “एटम-बम” साक्ष्य हैं, जो चुनावी फ्रॉड का अनूठा प्रमाण है । साथ ही, उन्होंने ECI द्वारा बिहार में शुरू की गई Special Intensive Revision (SIR) प्रक्रिया का अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन किया, जबकि कांग्रेस पहले इस प्रक्रिया का विरोध करती रही थी।
5. जन सहभागिता: वेबसाइट और मिस्ड-कल अभियान
अपने आरोपों को व्यापक बनाने के लिए, राहुल गांधी ने एक वेबसाइट और मिस्ड कॉल नंबर लॉन्च किया, जिससे जनता चुनावी गड़बड़ी की सूचना साझा कर सके.।
6. ECI की प्रतिक्रिया: बेसलेस आरोप और शपथपत्र का निर्देश
ECI ने आरोपों को “बेसलेस”, “अविश्वसनीय” और “जिम्मेदारी विहीन” बताया और अधिकारियों को इन टिप्पणियों की अनदेखी करने को कहा।ECI ने राहुल गांधी से कहा कि वे अपने आरोपों को शपथपत्र के साथ प्रमाणित करें, या तो देश से माफी मांगें।यदि झूठा शपथपत्र दिया गया, तो कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई।
7. राज्य स्तर पर खारिज: CEO का जवाबदा
महाराष्ट्र, हरियाणा, कर्नाटक जैसे राज्य के CEO ने राहुल गांधी के आरोपों को ठुकरा दिया, कहा कि पारदर्शिता बनाए रखते हुए प्रक्रिया पूरी तरह निष्पक्ष हुई
8. राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: BJP और NCP का रुख
BJP ने राहुल से कहा कि या तो आरोपों का प्रमाण दें या लोकसभा से इस्तीफा दें ।
कुछ नेताओं ने उनकी टिप्पणियों को “शहरी नक्सली मानसिकता” के रूप में चित्रित किया ।
वहीं, Sharad Pawar ने राहुल गांधी का समर्थन किया और ECI से विषय की निष्पक्ष जांच की मांग की ।
Abhishek Singhvi ने बिहार में SIR प्रक्रिया की समय और मकसद पर सवाल उठाया और ECI को भाजपा के प्रभाव में बताया ।
राहुल गांधी के आरोप—“मत चोरी”, “सीसीटीवी नष्टकरण”, “बहुगुणित मतदाता नाम”—न केवल ECI की विश्वसनीयता पर चुनौती हैं, बल्कि लोकतंत्र में आधारहीन संदेह की समस्या को भी उजागर करते हैं। दूसरी ओर, ECI का जवाब, शपथपत्र की मांग, और कानूनी रास्ते इसका प्रमाण है कि संस्थागत पारदर्शिता बनाए रखी जाए।
इस पूरे विवाद का असली सवाल है: क्या मतदाता और लोकतंत्र के संवैधानिक ढांचे में भरोसा खो गया है? अगर साक्ष्य नहीं दिखाए गए, तो ECI किस तरह जनता की धारणा को दोबारा जीत सकता है?
ECI और अन्य की प्रतिक्रियाएँ
“बेसलेस और जिम्मेदारियों विहीन आरोप”: ECI ने राहुल के सभी आरोपों को “बेसलेस”, “अविश्वसनीय” और “जिम्मेदारी विहीन” बताया और अधिकारियों को इन टिप्पणियों की अनदेखी करने का निर्देश दिया
शपथपत्र (Declaration) या माफी का आव्हान: ECI कीने कहा कि राहुल गांधी या तो अपने आरोपों का समर्थन करते हुए एक शपथ पत्र जमा करें, या फिर देश से माफी मांगे
स्वशपथ के दायित्व: कहा गया कि अगर राहुल गांधी दोष सिद्ध किए बिना झूठा शपथ पत्र जमा करते हैं, तो उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है—जिसमें जेल की सजा भी शामिल है
राज्य CEO का खंडन: महाराष्ट्र, हरियाणा और कर्नाटक के चुनाव अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि कोई भी अप्रेजल या शिकायत राहुल गांधी या कांग्रेस द्वारा नहीं दर्ज की गई है, और प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी थी
भाजपीय प्रतिक्रियाएं: BJP ने राहुल से कहा कि या तो वो प्रमाण दें या संसद सदन से इस्तीफा दें, यदि वे ECI में विश्वास नहीं करते । कुछ बीजेपी नेताओं ने उन्हें “शहरी नक्सली मंथन” कह कर आलोचना की।
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