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author Alpha Kalam Aug 01, 2025 5 min

मालेगांव विस्फोट मामला क्या है? वह कौन सा मामला था जिसमें सभी 7 लोग बरी हो गए थे...

मालेगांव ब्लास्ट केस में 17 साल बाद फैसला, जानें कब-कौन हुआ गिरफ्तार, कोर्ट में क्या हुआ?

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19 सितंबर 2008 को मालेगांव ( नासिक, महाराष्ट्र) में एक मस्जिद के पास अंजुमन चौक पर LML Freedom मोटरसाइकिल में बम विस्फोट किया गया जिसमें लगभग 6 लोगों की जान चली गई और लगभग 95–101 लोग घायल हुए।जब भारतीय एटीएस के द्वारा इसकी प्रारंभिक जांच की गई तो पाया गया कि विस्फोट में प्रयुक्त बाइक कथित रूप से साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के नाम पर दर्ज है और इंजन और चेचिस नंबर मिटा दिए गए थे 
अतः आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित,मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय,अन्य सहित कुल 7 लोग गिरफ्तार किए गए।इन लोगों के ऊपर  UAPA और MCOCA के तहत केस दर्ज किया गया
लेकिन 2013 में यह मामला NIA को सौंप दिया गया और ATS और CBI की जांच को संशोधित करते हुए कुछ आप वापस ले लिए गए MCOCA चार्ज हटाए गए मुख्य रूप से प्रज्ञा ठाकुर के विरुद्ध मामला कमजोर माना गया
इस मामले में ATS ने अपनी जांच के बाद गंभीर आरोप लगाए थे उन्होंने अपनी जांच में बताया हिंदू आतंकी संगठन "अभिनव भारत" की स्थापना, आर्यावर्त बनाने की साजिश, मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने की कठिन योजनाएं बनाई गई थी।इस केस में लगभग 323 लोग गवाह के रूप में चुने गए थे लेकिन बाद में 35-40 लोगों ने अपना बयान बदल दिया।

कोर्ट का फैसला – बरी दर्जा
तारीख: 31 जुलाई 2025

*निर्णय:* साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित और अन्य पाँच आरोपियों समेत सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया गया

*कारण:* अभियोजन पक्ष आरोप सिद्ध नहीं कर पाया; सबूत नाकाफी और जांच में भारी चूकें

*न्यायालय का कहना:*

बाइक के चेसिस नंबर मिटाए गए थे—कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिला कि वह प्रज्ञा की थी

संदिग्ध “अभिनव भारत” संगठन का आरोप साबित नहीं हो सका

UAPA के संक्शन आदेश दोषपूर्ण थे

रायशुमारी के आधार पर नहीं, बल्कि सशक्त कानूनी सबूतों पर ही मुक़दमा चलना चाहिए था।
न्यायालय ने अपना फैसला सुनाते हुए मृतकों के परिवारों को ₹200000 मुआवजा देने को कहा और घायल को ₹50000 देने को कहा।

 राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी:
फैसले को “निराशाजनक” बताया। उन्होंने सवाल उठाया—यदि सभी निर्दोष थे, तो इतने वर्षों तक जांच क्यों चली? मृतकों के परिवारों को न्याय कब मिलेगा?
महाराष्ट्र CM देवेंद्र फडणवीस और उप CM एकनाथ शिंदे:
“Terrorism was never saffron...” जैसे बयानों के माध्यम से कहा कि फैसला हिंदू समुदाय पर लगाई गई गलत धारणा को मिटाता है।

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#malegaoblastcase #malegaoblast
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